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Monday, April 4, 2011

हाय हाय

हम हुए तू और मिट गए तो किसी को खबर तक नहीं
तूने बस लिया मेरा नाम और दुनिया करे हाय हाय

क्या होगा जो पहुंचेगी बू-ए-रूह तुम तक
सूंघी जो दम-ए-शराब  तो करते हो हाय हाय

क्या है ज़िन्दगी अब दरिया इक्क ठहरे हुए पानी का सा है
हुई बारिश तो बड़ी खूब हुई न हुई अगर तो क्या अल्लाह हाय  हाय

मुददत हुई देखा बनाया सजाया बा ख्वाबों में ही तुझे
हुआ रु-बा-रु तेरे,देखि हकीकत तो दिल रो उठा हाय हाय

पेट भर  खुराक  ,जिस्म भर पैराहन और होश भर शराब
फिर भी पूछो जो हाल तो कहते हो न पूछो हाय हाय

   
गौरव मकोल

3 comments:

  1. truly brilliant..
    keep writing........all the best

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  2. नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें !
    माँ दुर्गा आपकी सभी मंगल कामनाएं पूर्ण करें

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