मैं आँसुओं को उनसे चुराता चला गया
बेफ़िक्र मुझको और रुलाता चला गया
बदलेगा मेरा वक़्त भी ऐ दोस्त एक दिन
यह ऐतबार दिल को कराता चला गया
मिटता रहा हवाओं के संग आ के बार-बार
जो अक्स रेत पर मैं बनाता चला गया
हमदर्द उसे जब से हमने बना लिया
वह दर्द मेरे नाम लिखाता चला गया............
बेफ़िक्र मुझको और रुलाता चला गया
बदलेगा मेरा वक़्त भी ऐ दोस्त एक दिन
यह ऐतबार दिल को कराता चला गया
मिटता रहा हवाओं के संग आ के बार-बार
जो अक्स रेत पर मैं बनाता चला गया
हमदर्द उसे जब से हमने बना लिया
वह दर्द मेरे नाम लिखाता चला गया............
sundar
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