है सब ड्रामेबाज़
हैं सब गूंगे साज़
हैं खूद में उस्ताद
है पैसे की बकवास
छूटी है जब आस ,तो फिर बात क्या करें
झूठे अश्कों का, अहसास क्या करें
किस्से और कहानियों में बाकी है बचा
जग में मिटा है विश्वास क्या करें
उलटे सीधे रस्तों पे क्यों न जाऊं मै
मुट्ठी में सूरज रखूँ, चंदा पाऊँ मै
तलवारों पे चलने का सुकून जो मिले
खून भी बहाकर अपना हिस्सा पाऊँ मै
अब होगा आगाज़
बजेंगे सारे साज़
है दिल की ये आवाज़
दुनिया जानेगी आज
बहुत खुबसूरत.....
ReplyDeletedhnywaad sushma
ReplyDelete