जिन्दगी अब उलझे हालातो पे नहीं चलती
जिन्दगी अब सिर्फ वादों और बातो पे नहीं चलती
कैसा डर ,किसका डर अब छोड़ दो तुम सारे डर
यकीन मानो अब जिन्दगी रोने धोने पे नहीं चलती
वादा करो मिलके हंगामा करेंगे 'मनी
जिन्दगी अब थके उसूलो पे नहीं चलती
तुम भी अब खुल के मिलने की आदत ड़ाल लो
जिन्दगी अब गुप चुप मुलाकातों पे नहीं चलती
खुल के आओ साथ दो मेरे पीछे तुम
जिन्दगी अब तानाशाही पे नहीं चलती
------------------------------------मनीष शुक्ल
बहुत ही सुंदरप्रस्तुति
ReplyDeleteaapka abhaar smshindi By Sonu ji
ReplyDeletebahut hi badhia kavita manish bhai
ReplyDeleteaapka abhaar chirag bhai,,,,,,,,,
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