खट खट इक दम से चौक गया था मै और चौकता भी क्यों न भला
क्युकी मैंने उसे आज अपने दिल की बात जो कह दी थी
और पूरी तरह से डर गया था पर ये मेरे दोस्त भी न मरवा दिया न मुझे
और ये मेरा पागल दिल एक बार दिमाग की सुन लेता तो
शायद इतना ही सोचा था और मुझसे दरवाजा खुल गया
मेरा रोम रोम काँप गया आवाज़ इक दम से दबी रह गयी
वो शांत चेहरा देखकर ........बुरा मान गयी क्या
ये बात मैंने अपने मन में ही सोची ही थी
नहीं बुरा नहीं लगा मुझे बल्कि मैंने तुममे आज एक पहचान देखी है
मेरे दोस्त ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पर तुमने बहुत देर कर दी शायद इस प्रश्न का उत्तर मै किसी को पूरी हाँ में दे चुकी हू
मै इकदम आवाक,शांत,असहाय सब कुछ लूट लिया हों किसी ने जैसे
क्युकी ये उत्तर उसका एक मानव बम जैसा ही था
दिल तो बस किसी बिल में चला गया हों जैसे और दिमाग वार वार पर किये जा रहा था
की काश मैंने ..................................................................................
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल