ये मेरी नाराजगी है भारतीय अर्थवय्वस्था व सैन्य वयवस्था को लेकर व तमाम देश के व समाज के ठेकेदारों के प्रति .
मनी'थक गया है झुक गया है कोई लूट रहा है
किसी ने सच कहा है हिंदुस्तान अब टूट रहा है
वतन पे मिटने वालो का जो वतन पे पहरा है
मनी'देख रहा हु साथ उनका भी अब छूट रहा है
गाली है तू कैसे कहू तुझको मै नेता वतन का
मनी'लूट कर मेरा वतन तू कहा अब फूट रहा है
=================मनीष शुक्ल
मनी'थक गया है झुक गया है कोई लूट रहा है
किसी ने सच कहा है हिंदुस्तान अब टूट रहा है
वतन पे मिटने वालो का जो वतन पे पहरा है
मनी'देख रहा हु साथ उनका भी अब छूट रहा है
गाली है तू कैसे कहू तुझको मै नेता वतन का
मनी'लूट कर मेरा वतन तू कहा अब फूट रहा है
=================मनीष शुक्ल
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