खुद से जीतने की जिद है, मुझे खुद को ही हराना है
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की, मेरे अन्दर एक ज़माना है
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
अजीब हाल है इस दुनियादारी का
ये सारे हाल तेरे हाल पर ही छोड़ता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
टूटने दो टूटने के बाद ही तो कुछ बनेगा
छूटने दो छूटने के बाद ही तो वो मिलेगा
एक परिंदा है अभी जिंदा मुझमें कहीं थोडा बहुत
उड़ने दो उड़ने के बाद ही तो वो कहेगा
मै मलंग, बनके पतंग
अपने फलक को चूमता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
अजीब हाल है इस दुनियादारी का
ये सारे हाल तेरे हाल पर ही छोड़ता हूँ
चाहता हूँ मै भी उड़ना और तैरना
चाहता हूँ मै भी नाचूँ बनके झरना
तोड़ दूं जंजीर जिनसे मै बंधा हूँ
चाहता हूँ लिख दूं हवा पे नाम अपना
चाहता हूँ इस कदर,
इसी चाह में मै झूमता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
डूबता हूँ, डूबता हूँ, डूबता हूँ
मै खुद में खुदा को ढूंढता हूँ
अजीब हाल है इस दुनियादारी का
ये सारे हाल तेरे हाल पर ही छोड़ता हूँ
क्या बात है भाई जी-
ReplyDeleteबधाई-
GOOD :)
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