थोड़ा हँसना, थोडा रोना, दे मौला!
दिल से दिल को राहत दो ना, हे मौला!
सात समुंदर पार की बातें कौन करे
अपने आम में मंजर होना, दे मौला!
झूठ की बारिश रंग-बिरंगी होती है
ऐसी छतरी सच की होना, दे मौला!
साए घनेरे बरगद के, कागा बोले
फूल-क्यारी, तोता-मैना, दे मौला!
मय-जंगल ही खिलखिल बच्चे लुप्त हुए
गिल्ली-डंडा, और खिलौना, दे मौला!
गंगा की पीड़ा पर जमना यूँ रोवे
कण-कण चांदी, कण-कण सोना दे मौला!
ज़बाँ पर मेरी, ऐसी ही तासीर रहे
ग़ालिब संग कबीर का होना, दे मौला!
कमर सादिपुरी
दिल से दिल को राहत दो ना, हे मौला!
सात समुंदर पार की बातें कौन करे
अपने आम में मंजर होना, दे मौला!
झूठ की बारिश रंग-बिरंगी होती है
ऐसी छतरी सच की होना, दे मौला!
साए घनेरे बरगद के, कागा बोले
फूल-क्यारी, तोता-मैना, दे मौला!
मय-जंगल ही खिलखिल बच्चे लुप्त हुए
गिल्ली-डंडा, और खिलौना, दे मौला!
गंगा की पीड़ा पर जमना यूँ रोवे
कण-कण चांदी, कण-कण सोना दे मौला!
ज़बाँ पर मेरी, ऐसी ही तासीर रहे
ग़ालिब संग कबीर का होना, दे मौला!
कमर सादिपुरी
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