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Thursday, October 20, 2011

खुद को बढाने का कहा वक़्त इनके पास , रहते है खडहर में बुरा खडहर का सोचते है



अजीब लोगो की बाते है अजीब सोचते है 
खुद का पता नहीं बाते गैरो की सोचते है 

खुद को बढाने का कहा वक़्त इनके पास 
रहते है खडहर में बुरा खडहरका सोचते है

यू तो नहीं कुछ भी अब रहा पास इनके 
 पास बैठो तो ये बनने मंत्री की सोचते है 

बातो को खूब बढाना घटाना आता है इनको 
अफ़सोस तो है बस ये बाते बुराई की सोचते है

मनी' अजीब लोगो की बाते है अजीब सोचते है
दिल के करीब रहके ये  बाते दिल्लगी सोचते है 
             ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल 









8 comments:

  1. अरे भाई कमाल का लिखा है आज तो……………मेरे पास तो शब्द कम पड गये है तारीफ़ के लिए

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  2. खूबसूरत प्रस्तुति |

    त्योहारों की नई श्रृंखला |
    मस्ती हो खुब दीप जलें |
    धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
    दीप जलाने चले चलें ||

    बहुत बहुत बधाई ||

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  3. संजय जी आपका बहुत बहुत आभार ,,,,,,

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  4. धन्यवाद रविकर जी ,,,

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  5. सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    समय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.

    प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.

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  6. S N SHUKLA JI आपका आभार ,,,,,,,,और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

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  7. आज के समय की कडवी हकीकत.
    दीपोत्सव की शुभकामनायें.

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