वो मुस्कुराते रहे गीत गाते रहे
हम चुप चुप के आशू बहाते रहे
वो समझे न एक इशारा भी यारो
हम पल पल पलक झपकाते रहे
उनका हर एक हुक्म सर आँखों पे था
पर अफ़सोस वो हुक्मरान ही बताते रहे
अजब दास्ताँ होती है मोहब्बत की
हम कुछ समझे वो कुछ समझाते रहे
हम जब जब खुद को बचाते रहे
मनी'वो तब तब दिल चुराते रहे
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ला
वो मुस्कुराते रहे गीत गाते रहे
ReplyDeleteहम चुप चुप के आशू बहाते रहे .....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
बहुत ही सुंदर .... एक एक पंक्तियों ने मन को छू लिया ...
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