अजीब लोगो की बाते है अजीब सोचते है
खुद का पता नहीं बाते गैरो की सोचते है
खुद को बढाने का कहा वक़्त इनके पास
रहते है खडहर में बुरा खडहरका सोचते है
यू तो नहीं कुछ भी अब रहा पास इनके
पास बैठो तो ये बनने मंत्री की सोचते है
बातो को खूब बढाना घटाना आता है इनको
अफ़सोस तो है बस ये बाते बुराई की सोचते है
मनी' अजीब लोगो की बाते है अजीब सोचते है
दिल के करीब रहके ये बाते दिल्लगी सोचते है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल
अरे भाई कमाल का लिखा है आज तो……………मेरे पास तो शब्द कम पड गये है तारीफ़ के लिए
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteत्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||
बहुत बहुत बधाई ||
संजय जी आपका बहुत बहुत आभार ,,,,,,
ReplyDeleteधन्यवाद रविकर जी ,,,
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteसमय- समय पर मिले आपके स्नेह, शुभकामनाओं तथा समर्थन का आभारी हूँ.
प्रकाश पर्व( दीपावली ) की आप तथा आप के परिजनों को मंगल कामनाएं.
S N SHUKLA JI आपका आभार ,,,,,,,,और दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteआज के समय की कडवी हकीकत.
ReplyDeleteदीपोत्सव की शुभकामनायें.
bahut achchi prastuti.
ReplyDelete