अगर आप भी इस मंच पर कवितायेँ प्रस्तुत करना चाहते हैं तो इस पते पर संपर्क करें... edit.kavitabazi@gmail.com

Friday, January 21, 2011

झूठ के हैं फैशन शोज़

सच outdated है 
अब झूठ  के हैं फैशन शोज़;
तो सच के लिए करेगा 
कौन यहाँ किच-किच रोज़;
अब कदम ताल करनी है
दुनिया के साथ गर 
झूठ नहीं बोलोगे 
तो बोलोगे भी क्या ;


नई हुई दुनिया के नए हैं ये सच 
चाहेगा भी तो कौन इनसे निकलेगा बच 
आज जो भी  सच्चा है 
कल रहेगा क्या;  


सीप को मोती कहो 
पत्थरों को हीरे 
लहर नहीं आज प्यारे 
नदियों के तीरे 
दिमाग ही लगाओ अब 
दिल चीज़ क्या;


दिल से जो चाहोगे 
मिल ही जायेगा
सच्ची हो चाहत 
फूल खिल ही जायेगा 
फंतासी है रील सच ये,
रियल इसमें क्या;


कभी कुछ सोचूँ 
तो कभी कुछ और 
जिसके सिर पर मौर नहीं 
वही आज सिरमौर 
practical , professional बनो 
emotional होना न ;


आदर्शों कि मिर्ची अब 
खाना कौन चाहे 
मिलता हो जब 
फास्टफूड गाहे-बगाहे 
अब खो गये हैं अबाबील 
और गाती नहीं बया ........... 

7 comments:

  1. @ रशमी सविता जी
    बिलकुल सत्य कहा आपने
    तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

    ReplyDelete
  2. सच है रश्मि जी, आज के समय में सच्चाई का साथ देना एक बहुत घातक आदत साबित होती है...पर क्या किया जाये, बुरी आदतें छूटने में ज्यादा समय लेती हैं..!

    ReplyDelete
  3. जिसके सिर पर मौर नहीं
    वही आज सिरमौर
    practical , professional बनो
    emotional होना न ;

    आज के सन्दर्भ में आपने बहुत सही लिखा है
    बढ़िया रचना
    पसंद आई पोस्ट
    बधाई
    आभार

    ReplyDelete
  4. दिल से जो चाहोगे
    मिल ही जायेगा
    सच्ची हो चाहत
    फूल खिल ही जायेगा
    फंतासी है रील सच ये,
    रियल इसमें क्या;

    you r absulutley right n your massage is right but ask your self very polietley .what you wanted to be,,i feel that reply will be get fame such a right manner ,,,,,,,

    very nice realty presented by you ,,,,rashmi

    ReplyDelete
  5. रश्मि सविता जी!
    आपकी कविता पढ़ी। एक क्षण के लिए यह रचना किसी को भी भाव- विभोर कर देगी परन्तु इसमें निराशावाद की झलक है। यह निराशा युवाओं के लिए वरदान नहीं, अभिशाप है। आशा ही जीवन है। सफलता विषम परिस्थियों में राह वालों का अनुगमन करती है। आपका भी करेगी। अच्छा इंसान ही........अच्छा प्रोफेशनल बनता है। आपका नाम रश्मि सविता है। इसका अर्थ वह किरण को सूर्य से निकले.......संसार को आभामय कर सके। इस मंगल कामना के साथ.......साधुवाद!
    सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी

    ReplyDelete
  6. thanx to all of u....

    @ Dr. lakhnavi.... thanx!
    actually, m very optimistic ...& these r not exactly my thoughts ..bt ...mostly youth think in d same way... So... but I have much different thoughts .... आपने जो भी कहा है , उसके लिए धन्यवाद ! मै जरा भी निराशावादी नहीं हूँ, मेरे पास सपने हैं, लक्ष्य हैं और उन्हें पूरा करने का दमखम, आत्मविश्वाश भी ..... आपने मेरी रचना पर जो विचार व्यक्त किये , उसके ;लिए भी मै आपकी आभारी हूँ...

    ReplyDelete
  7. Good to know that ur thoughts are not the one as presented in poem..
    the ideas and the variety in your hindi poems are better than, even if its difficult for me to understand hindi.
    The things u tell in this is 100% true as most of the people think practically and about there profession only. No one is interested in doing something good or to protest against bad. In rome be a roman, nobody wants to take pain. The world is always like this, but there r few people who think different& they always make great changes.
    We can only try to make our part clear, as mother Teresa says” if u cant feed hundred, just feed one”

    ReplyDelete