याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
...................................................................
सारी सारी राते पब में बिताना
दोस्तो के संग बिलियर्ड्स खेलना
ब्रिटनी व् शकीरा का दीवाना होना
टॉम क्रूज़ की तरह स्टाइल मारना
.....................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..................................................................................................
कभी इंडिया गेट तो कभी साउथ एक्स जाना
बाइक पे ड्रिप स्टंट ओ लहरा के चलाना
वो पार्टी में डांस राक आन के गाने गाना
वो दोस्तों के संग जिम जाना और सरते लगाना
........................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
....................................................................................
गर्लफ्रेंड को मूवी दिखाना उसके सामने लड़की देखना
फिर उसको चिढाना उसके नखरे ओ बाबा अब उसको मानना
उसकी एक smyle पे सबकुछ लुटाना
वो mac-डी का पिज्जा मगाना
वो बहार का spicey खाना
.........................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
............................................................................
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
.............................
सारी सारी राते पब में बिताना
दोस्तो के संग बिलियर्ड्स खेलना
ब्रिटनी व् शकीरा का दीवाना होना
टॉम क्रूज़ की तरह स्टाइल मारना
..............................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
कभी इंडिया गेट तो कभी साउथ एक्स जाना
बाइक पे ड्रिप स्टंट ओ लहरा के चलाना
वो पार्टी में डांस राक आन के गाने गाना
वो दोस्तों के संग जिम जाना और सरते लगाना
..............................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
गर्लफ्रेंड को मूवी दिखाना उसके सामने लड़की देखना
फिर उसको चिढाना उसके नखरे ओ बाबा अब उसको मानना
उसकी एक smyle पे सबकुछ लुटाना
वो mac-डी का पिज्जा मगाना
वो बहार का spicey खाना
..............................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
वो होन्ग कोंग की फ्रेंड हूँ चुंग सुई से
रात रात भर स्काइप पे चैटिंग करना
.............................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
.....................................................................................
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
वो ब्रांडेड कपड़ो का शौक
वो फास्ट ट्रैक का चस्मा लगाना
वो दुबई का परफुए
वो बालो का spicey लुक
वो कॉस्टली रिस्ट वाच मगाना
......................................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
.................................................................................................
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
.............................
वो मम्मी से कार की सिफारिश लगवाना
उसपे पापा का कार खरीदना
फिर असीम,अलोक,अभी,भाई के संग
लॉन्ग drive पे जाना
वो पापा से झूठ बोल के पॉकेट मनी बढवाना
उससे गर्लफ्रेंड को ग्रीटिंग व् गिफ्ट देना
फिर उस से रोमांटिक बाते करना
..............................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
....................................................................................
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
वो कैंटीन की कोल्ड कोफ्फी
वो सिगरेट का धुआ उड़ाना
कॉलेज के बहार लड़की पटाना
फैर्वेल पे आखो का रोना
धीमे धीमे सबसे बिछडना
..............................................................................
याद आ रहा है वो जमाना
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
...................................................................................................
वो वालिया की चाय
वो मौसम सुहाना
..............................
. ............................................................
मनीष शुक्ल
मनीष शुक्ल
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआनंद बख्शी साहब की लाइनें याद आ रही हैं.... ज़िन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मुकाम.... वो फिर नहीं आते...!
ReplyDeleteGUJRA WAQK HAMESHA HI YAAD AATA HAI ....MANISH BHAI
ReplyDeletePAR LAUT KAR NAHI AATA
ateet ko chubhla chubhla kar yaad karne ki ek achchhee kavitamay prastuti. abhar.
ReplyDeleteसंजय जी,असीम जी,सुबीर जी आप सभी का आभार,,,,,
ReplyDelete