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Wednesday, June 5, 2013


स्मरण / नूतन ( 4 जून, 1936 - 21 फरवरी, 1991 )
पारंपरिक भारतीय सौंदर्य और सरलता की प्रतिमूर्ति नूतन हिंदी सिनेमा के पांचवे और छठे दशक की एक बेहद प्रतिभाशाली और भावप्रवण अभिनेत्री रही हैं। परदे पर भारतीय स्त्री की गरिमा, ममता, सहृदयता, विवशता, तकलीफ और संघर्ष को जिस जीवंतता से उन्होंने जिया है, उसे देखना हमेशा एक दुर्लभ सिनेमाई अनुभव रहा है। नूतन ने चौदह साल की उम्र में अपने फिल्मी सफर की शुरूआत 1950 में अपनी मां और चौथे दशक की अभिनेत्री शोभना समर्थ द्वारा निर्देशित फिल्म 'हमारी बेटी' से की थी, लेकिन उन्हें सफलता और ख्याति मिली 1955 की फिल्म 'सीमा' से जिसमें बलराज सहनी उनके नायक थे। नूतन ने 70 से ज्यादा फिल्में की थी, जिनमें प्रमुख हैं - सीमा, हमलोग, आखिरी दाव, मंजिल, पेइंग गेस्ट, दिल्ली का ठग, बारिश, लैला मजनू, छबीली, कन्हैया, सोने की चिड़िया, अनाड़ी, छलिया, दिल ही तो है, खानदान, दिल ने फिर याद किया, रिश्ते नाते, दुल्हन एक रात की, सुजाता, बंदिनी, लाट साहब, यादगार, तेरे घर के सामने, सरस्वतीचंद्र, अनुराग, सौदागर, मिलन, देवी, मैं तुलसी तेरे आंगन की, साजन की सहेली, मेरी जंग, कर्मा आदि। उत्कृष्ट अभिनय के लिए उन्हें आधा दर्ज़न 'फिल्मफेयर' पुरस्कार मिले थे। जन्मदिन पर इस विलक्षण अभिनेत्री को श्रधांजलि, उनकी फिल्म ' सोने की चिड़िया ' के इस कालजयी गीत के साथ !

रात भर का है मेहमां अंधेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

आ कोई मिलके तदबीर सोंचे
सुख के सपनों की ताबीर सोंचे
जो तेरा है वही ग़म है मेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

रात जितनी भी संगीन होगी
सुबह उतनी ही रंगीन होगी
ग़म न कर गर है बादल घनेरा
किसके रोके रुका है सवेरा !


रात भर का है मेहमां अंधेरा किसके रोके रुका है सवेरा 
आ कोई मिलके तदबीर सोंचे सुख के सपनों की ताबीर सोंचे जो तेरा है वही ग़म है मेरा किसके रोके रुका है सवेरा 
रात जितनी भी संगीन होगी सुबह उतनी ही रंगीन होगी ग़म न कर गर है बादल घनेरा किसके रोके रुका है सवेरा !

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