बुरी आदत है,
अच्छे वक्त की,
वो जाने की जल्दी करता है?
अच्छी आदत है,
बुरे वक्त की,
वो बहुत कम ठहरता है करीब?
अच्छे वक्त की,
वो जाने की जल्दी करता है?
अच्छी आदत है,
बुरे वक्त की,
वो बहुत कम ठहरता है करीब?
- रविकुमार बाबुल
वो मुस्कुराते रहे गीत गाते रहे
जब मैंने जनवरी, 2011 को यह ब्लॉग बनाया था तो उम्मीद नहीं थी की यह ब्लॉग इतनी ज़ल्दी ब्लॉग जगत में अपना स्थान बना लेगा. इस सबके लिए मै कविताबाजी से जुड़े सभी कवियों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहूँगा की उन्होंने कविता के प्रति अपने प्रेम से कविताबाजी को कविता की दुनिया में उचित स्थान बनाने में बहुमूल्य योगदान दिया और आपसे क्षमा भी चाहूँगा की पिछले कुछ समय से अपनी आनलाइन मैगजीन दखलंदाज़ी (http://www.dakhalandazi.com/) को लेकर काफी व्यस्त होने के कारण कविताबाजी को उचित समय नहीं दे पा रहा हूँ और इसकी वज़ह से हमारे इस साहित्यिक ब्लॉग को नुक्सान उठाना पड़ रहा है. कुछ कवियों की रिक्वेस्ट भी कई कई दिन तक पेंडिंग रह जाती है, जिससे उन्हें भी निराशा होती है. अतः मैंने कविताबाजी की ज़िम्मेदारी अपने मित्र कवि मनीष शुक्ला को सौपने का निर्णय लिया है. उनके कविता और साहित्य के प्रति समर्पण को देखकर मुझे विश्वास है की मनीष भाई कविताबाजी को आगे ले जाने में बखूबी अपनी भूमिका निभाएंगे. दिल्ली निवासी मनीष जी शुरू से ही कविताबाजी से जुड़े रहे हैं और यहाँ तक की कविताबाजी पर पहली कविता भी मनीष जी ने ही पोस्ट की थी.