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Monday, March 28, 2011

तुम्हारी इजाजत



                   

मस्त अदाओ से सराबोर 
तुम्हारी जुल्फ चेहरे से हटाऊँ
क्या तुम्हारी ये इजाजत है 
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |

जाहिल जमाना करे इंकार
पर पायलो की झंकार की
मोहब्बते दिल में इबादत है
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |

इख़्तियार तेरा जो दिल में है
सोच उसे में लुत्फ़ उठाऊँ
क्या तुम्हारी ये इजाजत है
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |

चुनरी में छुपे उस चाँद के
यहाँ आने की कुछ आहट है
सोच तुम्हे चारो दिशाओ में
मैं तुम्हारे ही गीत गाऊं
क्या तुम्हारी ये इजाजत है
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |


- दीप्ति  शर्मा

5 comments:

  1. badhiya deepti ji...acha vichaar hai...ibaadat bhi hai to ijaazat se...waah waah...shubh kaamnaayein..

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  2. kavitabazi me apka swagat hai deepti ji...!

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  3. ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  4. you r an amazing writer........looking forward to learn frm u...

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