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Wednesday, March 30, 2011

कैसे बयां करूँ ?




मैं अपनी भावनाओ को 
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
शायद कहीं ऐसा ना हो ,
की कोई मुझे सुने ही ना ,
और कोई समझे ही ना 
वो बात जो सब समझे 
ये मैं कैसे पता करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को 
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?

दीप्तमान हैं कुछ शब्द
लफ्जो पर हर सहर
प्रतिबिम्ब बन उन
लफ्जो को जो समझ सकें
उनका तहे दिल से मैं
कैसे शुक्रिया अदा करूँ ?
पर जो समझे ही नहीं
उनका कैसे पता करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?

- दीप्ति शर्मा 
                                                     
                                                            

3 comments:

  1. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...

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  2. अच्छी कविता दीप्ति जी..!

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  3. शायद कहीं ऐसा ना हो ,
    की कोई मुझे सुने ही ना ,
    और कोई समझे ही ना

    जब आप कविताबाजी पर हैं तो ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई न सुने..

    अच्छी रचना

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