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Thursday, March 17, 2011

आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा .........!!!!!


आसमान के सितारों को मैंने रोते देखा ,
उदासी का गम ढ़ोते देखा
देखा सब को तड़पते हुए,
सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा,
रात की रौशनी को देखा ,
तारो की चमक को देखा
सुबह होते ही इनकी रौशनी को खोते देखा |
थके से आसमा को देखा ,
अन्दर से रोते
अन्दर से चमक दमक खोते देखा
कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
बस सबको रात भर
हमने बेफिक्र सोते हुए देखा |

-- संजय कुमार भास्कर

10 comments:

  1. देखा सब को तड़पते हुए,
    सारी रात मैंने पूरे आसमा को तड़पते देखा...bbhut hi sunder rachna hai...

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  2. बहुत खूबसूरत कविता
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. bahut shaandaar panktiya hai ye ,,,sanjay ji ........

    happy holi

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  4. प्रिय संजू ,
    बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना हुआ .... अच्छी पन्तियाँ पढके अच्छा लगा .
    सुभकामनाओ सहित
    मंजुला

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  5. आशमान को तड़पते देखा, तारों को रोते देखा ............ प्रकृति का मानवीकरण. खूबसूरत प्रस्तुति संजय जी ..... आभार.

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  6. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  7. होली के शुभ अवसर पर आपकी ये प्रेरक कविता अच्छी लगी,
    सार्थक संदेश देती हुई कविता के लिए एवं होली की शुभकामनाये......

    jai baba banaras...........

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  8. भास्कर भाऊ
    आज होलियाना है भाई सो आज की
    होली की हार्दिक शुभकामनायें
    manish jaiswal
    Bilaspur
    chhattisgarh

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  9. खूबसूरत प्रस्तुति ,सार्थक कविता

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  10. अन्दर से रोते
    अन्दर से चमक दमक खोते देखा
    कोई नहीं जताता हमदर्दी तारो पर
    बस सबको रात भर
    हमने बेफिक्र सोते हुए देखा |

    bahut achhi rachna, gehre dard ka chitran kiye.

    shubhkamnayen

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