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Monday, March 7, 2011

वो अब दर दर भटक रहे है ,,,,

वो अब दर दर  भटक  रहे है 
मोहब्बत को ऐसे तरस रहे है 

कभी  लुटा  था  खूब  वफाई  को 
फिर क्यों वो बेवफाई से डर रहे है 

बेवक्त   बेवजह खाम खा सताया 
और अब खुद पर  बरस  रहे  है 

जब थे साथ तब कभी माना नहीं 
 और अब परछाई को तरस रहे है 

"मनी" अब न हो पाए वो कभी किसी के 
शायद इसी गम से घुट घुट के मर रहे है 
                      ...........मनीष शुक्ल 



4 comments:

  1. आजकल आप काफी परेशान लग रहे हैं

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  2. नहीं ऐसा नहीं है मेरे दोस्त ,,,,,,,,,,,,बस मन आ गया

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  3. nahi sanjay bhai aisa bilkul nahi hai,,,,,,,,,,,,,, aisa kyu laga aapko

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