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Monday, February 28, 2011

मेरे संग आज भी गवाह है ये बेजुबान लोग ,,,,

तुम मिली तो ऐसा लगा जैसे सबकुछ था पा लिया 
और तुम क्यों युही खेलकर दिल से चली गयी 

तुम लजावाब हों और ख़ास बहुत हों 
सुनकर ये बात क्यों तुम हसकर चली गयी 

माना की रस्मो रिवाजों से डरते है मोह्ब्बत किये लोग 
जो हिम्मत बनाई थी हमने क्यों वो तोड़ कर चली गयी 

मेरे संग आज भी गवाह है ये बेजुबान लोग 
और  तुम युही इनको भूल कर चली गयी 

'मनी'आज भी मै तेरे लिए एहसास वही रखता हू
और तूम गुमसुम सी एहसासों को छु कर चली गयी 
      ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल 

8 comments:

  1. बहुत लाजवाब और उम्दा लिखा है......गहरी बात आसानी से कह दी आपने.......मनीष भाई

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  2. i am greatful to sanjay ji rashmi ji and aseem ji

    ,,these lines really touching,,

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  3. manish ji kafi dino se is tarah ki rachana ki ummid aap se thi ................bahut hi sundar h......

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  4. Very nice... :)
    waqt mile to hamare blogg par bhi padhare.
    kripya hamara sath dekhar haushla badhaye.
    Thanx

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