तुम मिली तो ऐसा लगा जैसे सबकुछ था पा लिया
और तुम क्यों युही खेलकर दिल से चली गयी
सुनकर ये बात क्यों तुम हसकर चली गयी
माना की रस्मो रिवाजों से डरते है मोह्ब्बत किये लोग
जो हिम्मत बनाई थी हमने क्यों वो तोड़ कर चली गयी
मेरे संग आज भी गवाह है ये बेजुबान लोग
और तुम युही इनको भूल कर चली गयी
'मनी'आज भी मै तेरे लिए एहसास वही रखता हू
और तूम गुमसुम सी एहसासों को छु कर चली गयी
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल