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Tuesday, January 11, 2011

फिर भी एक उम्मीद ....

जीवन तपती रेत ,
है चलना इस पर ,लेकिन 
इतना बस बच जाये 
कि लिख सकू एक म्रदुल कविता 
बहुत है मै समझूंगी;


सपनो कि झंझरी को भेदते
तीर कई आयेंगे
और यथार्थ कि कडवी घुट्टी 
पीनी ही होगी
होना है तो हो ये सबकुछ
लेकिन फिर भी रहे सशेस तनिक सहजता
बहुत है मै समझूंगी;


पत्थर होंगे,
काटे होंगे
जगह-जगह पर 
ही रिश्तो को
रिश्तो ने बाटे  होंगे
देखना होगा सबकुछ ये
लेकिन फिर भी 
कही जो देखू
मरण प्रेम का
कसक बड़ी हो
रहे नसों में रक्त उबलता
बहुत है मै समझूंगी;


भले मूल्य है नहीं 
आज मूल्यों का
लेकिन केवल यही जमी है
जिस पर फलती 
और फूलती जाती जीवन बेल
भले समझ न पाए कोई..
फिर भी एक उम्मीद कि धरती स्वर्ग बनेगी
इस उटोपिया कि खातिर 
गर रह जाये कुछ ह्रदय कलपता
बहुत है मै समझूंगी.

7 comments:

  1. बेहतरीन भावना है कविता के पीछे...बहुत सुन्दर..

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  2. गहन भावों को समेटे सुंदर संदेश देती, खूबसूरत अभिव्यक्ति.

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  3. Nice Rythm with an undercurrent of immense pain can b felt...kaha IIT me fans gayi aap?

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  4. nikhil ji, i totally agree with your comment... her poetry is just excellent....i really wonder.

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  5. dear friends nikhil and aseem there is no need where person r working or what doing there importance is that only what kind of feelings he,she has,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
    wonderfull poem rashmi ji,,,,,,,,,,,,,

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  6. :) ... I'm much thankful to all of u for urs' encouragement & appreciation...
    well, its true that due to being in IIT , I hav very less time to give for literature, yup, very less...& sometimes I feel somthing scattering within. even if I luv my IITR , It gave me a vision , A global outlook , & satisfaction of being an IITian....
    Again wanna pay hearty thanx to Sanjay ji, Nikhil ji, Aseeem ji & Manish ji .... :)

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  7. u r absolutley right rashmi ji,,,,,,,,,,,,,,,
    because every buddy have a vision so pepoles r very busy,
    where as literature concern it is by heart so thought&feeling comes such a right manner even we r not a greatwriter ,what we r wrighting for our happiness&satisfaction only,,,,,

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