जहा तू है तेरी वफ़ा है तेरी जवानी भी है
उन गलियों में ज़िन्दा मेरी कहानी भी है
तू ठहर के देख जरा दो पल वहा
ठहरी हुई अपनी निशानी भी है
तू किस गम में है ये बतलादे मुझे
देख तेरे पीछे मेरी जिंदगानी भी है
ये तेरी वफ़ा है जो ज़िन्दा हू मै
देख तेरी ऐसी मेहेरवानी भी है
'मनी'आज हालातो में बहुत उलझा हू
क्यों संग अपने ऐसी कहानी भी है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मनीष शुक्ल
ये तेरी वफ़ा है जो ज़िन्दा हू मै
ReplyDeleteदेख तेरी ऐसी मेहेरवानी भी है
...............nice line :)
thanks rashmi ji,,,,,
ReplyDeleteबेहद ही खुबसूरत
ReplyDeleteआज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
bahut khoob manish bhai...........me to fan ho gaya apka
ReplyDeleteसंजय जी ,,,,,,पहले तो धन्यवाद ,,,,,,,,और आपका बहुत बहुत आभार ,,,,,,,,,छमा करियेगा मै अपनी मीटिंग के सिलसिले में बहार था मै आपको जवाब उचित समय पर रेस्पोंसे नहीं कार पाया था ,,,,,,,,
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