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Thursday, May 31, 2012

.......गरीब हूँ मैं



रोटी के लिए घूमता रहता हूँ ,
इधर उधर ,
पाँव छिल जाते है ,
रुकता नही हूँ मगर ,
दिल से देगा मुझे कोई उसे भगवान् उसे बहुत देगा
मेरी दुआ है सभी के लिए ,
चाहे कोई बड़ा हो या छोटा ,
मिटटी के खिलौनों से खेलते है बच्चे मेरे ,
गर्मी सर्दी बारिश को   हंस कर झेलते है
सर पर छत भी न दे सका अपने बच्चो को
बाप में अजीब हूँ
गरीब हूँ में मजबूर हूँ मैं ,
पूरी नही कर पाता बच्चो की इच्छाओ को ,
बहुत ही बदनसीब हूँ मैं ,
गरीब हूँ मैं गरीब हूँ मैं......


@ संजय भास्कर

Tuesday, May 29, 2012

मैं आँसुओं को उनसे ........

मैं आँसुओं को उनसे चुराता चला गया
बेफ़िक्र मुझको और रुलाता चला गया
बदलेगा मेरा वक़्त भी ऐ दोस्त एक दिन
यह ऐतबार दिल को कराता चला गया
मिटता रहा हवाओं के संग आ के बार-बार
जो अक्स रेत पर मैं बनाता चला गया
हमदर्द उसे जब से हमने बना लिया
वह दर्द मेरे नाम लिखाता चला गया............

Monday, May 28, 2012

याद आये रात फिर वही

 
अहद तेरा यूँ लेकर दिल में
याद आये रात फिर वही
बदगुमान बन तेरी चाहत में
अपने हर एहसास लिये मुझे

याद आये रात फिर वही
अनछुये से उस ख़्वाब का
बेतस बन पुगाने में मुझे
याद आये रात फिर वही
उनवान की खामोशी में
सदियों की तड़प दिखे और
याद आये रात फिर वही
तेरे ख़्यालों में खोयी
ये जानती हूँ तू नहीं आयेगा
फिर भी मुझे,
याद आये रात फिर वही
याद आये बात फिर वही ।
© दीप्ति शर्मा

Saturday, May 26, 2012

वादा करो मिलके हंगामा करेंगे 'मनी जिन्दगी अब थके उसूलो पे नहीं चलती

जिन्दगी अब उलझे हालातो पे नहीं चलती 
जिन्दगी अब सिर्फ वादों और बातो पे नहीं चलती 

कैसा डर ,किसका डर अब छोड़ दो तुम सारे डर 
यकीन मानो अब जिन्दगी रोने धोने पे नहीं चलती 

वादा करो मिलके हंगामा करेंगे 'मनी 
जिन्दगी अब थके उसूलो पे नहीं चलती 

तुम भी अब खुल के मिलने की आदत ड़ाल लो 
जिन्दगी अब गुप चुप मुलाकातों पे नहीं चलती 

खुल के आओ साथ दो मेरे पीछे तुम 
जिन्दगी अब तानाशाही पे नहीं चलती 
------------------------------------मनीष शुक्ल 







Thursday, May 24, 2012

माँ मम्मी अम्मा


जिद्दी बने तो कारण तुम हो

जीते तो भी कारण तुम हो

गम से ख़ुशी का कारण तुम हो

मेरे होने का कारण तुम हो

अधिकार भी तुम ज़िम्मा भी तुम

माँ मम्मी अम्मा भी तुम

छूटी है जब आस ,तो फिर बात क्या करें ...


है सब ड्रामेबाज़
हैं सब गूंगे साज़ 
हैं खूद में उस्ताद 
है पैसे की बकवास 

छूटी है जब आस ,तो फिर बात क्या करें 
झूठे अश्कों का, अहसास क्या  करें 
किस्से और कहानियों में बाकी है बचा 
जग में मिटा है विश्वास क्या करें 
उलटे सीधे रस्तों पे क्यों न जाऊं मै
मुट्ठी में सूरज  रखूँ, चंदा पाऊँ मै 
तलवारों पे चलने का सुकून जो मिले 
खून भी बहाकर अपना हिस्सा पाऊँ मै 

अब होगा आगाज़ 
बजेंगे सारे साज़ 
है दिल की ये आवाज़ 
दुनिया जानेगी आज 

Monday, May 21, 2012

तू हो गयी है कितनी पराई

अथाह मन की गहराई
और मन में उठी वो बातें
हर तरफ है सन्नाटा
और ख़ामोश लफ़्ज़ों में
कही मेरी कोई बात
किसी ने भी समझ नहीं पायी
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

अब शहनाई की वो गूँज
देती है हर वक्त सुनाई
तभी तो दुल्हन बनी तेरी
वो धुँधली परछाईं
अब हर जगह मुझे
देने लगी है दिखाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

पर दिल में इक कसर
उभर कर है आई
इंतज़ार में अब भी तेरे
मेरी ये आँखें हैं पथराई
बाट तकते तेरी अब
बोझिल आहें देती हैं दुहाई
पर तुझे नहीं दी अब तक
मेरी धड़कनें भी सुनाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

© दीप्ति शर्मा

Saturday, May 12, 2012

माँ माँ माँ माँ माँ

माँ माँ माँ माँ माँ,,,,,,,,कोई भी काम हों,,,, माँ ,,,,और वाकई हम भारतवासियों के लिए ये बड़ी गर्व की बात है की हमें माँ का प्यार जीवन पर्यंत मिलता है कितना प्यारा नाम है न ,,,,,,माँ,,,, हर बच्चा सबसे पहले एक ह ही नाम लेता है,,, माँ,,, जिसमे कोई भी किरदार ढूढ़ सकते हों जबकि उसे कुछ नहीं सिखाया जाता पर उसे सब आता है वो हमारे लिए व्रत रखती है हमें जीवन भर खुश रखने के सारे प्रयास करती है कितनी अजीब बात है न की अगर हमें किसी पार्टी में जाना हों तो सबसे पहले वो हमारे  बारे में सोचती है और हम भी अपने लिए ही जिद करते है कभी नहीं सोचते की माँ के पास क्या है उसे क्या चाहिए एक बार मैंने सोचा ही की वो समझ गयी मुस्कुरायी ,,,,,,,,आखिर माँ है न सब जानती है ,,,,,,,,,,कुछ यू बोली मेरे लाडले तुम बहुत प्यारे हों पर अब मुझे इन सब चीजो की क्या जरूरत है

मेरी सारी शोभा तो तुमसे है तुम आगे बढ़ो तभी लगा,,,, माँ,,,,,,,सिर्फ  माँ  ,,,,,कहने के लिए नहीं होती ,,,,,माँ,,,,,,, के अन्दर जो ममता स्नेह है वो सारे संसार में कोई और नहीं दे सकता .

माँ चरणस्पर्श 

माँ


जब पहला आखर सीखा मैंने
लिखा बड़ी ही उत्सुकता से
हाथ पकड़ लिखना सिखलाया
ओ मेरी माँ वो तू ही है ।

अँगुली पकड़ चलना सिखलाया
चाल चलन का भेद बताया
संस्कारों का दीप जलाया
ओ मेरी माँ वो तू ही है ।

जब मैं रोती तो तू भी रो जाती
साथ में मेरे हँसती और हँसाती
मुझे दुनिया का पाठ सिखाती
ओ मेरी माँ वो तू ही है ।

खुद भूखा रह मुझे खिलाया
रात भर जगकर मुझे सुलाया
हालातों से लड़ना तूने सिखाया
ओ मेरी माँ वो तू ही है ।
© दीप्ति शर्मा

Friday, May 11, 2012

.......ज़माना कहेगा क्या बात है !

दोस्त को भुलाना गलत बात है,
दोस्ती न निभाना भी गलत बात है
दोस्ती में दिल दुखाना भी गलत बात है
दोस्ती का तो जिंदगी भर साथ है 
अगर भूल गए तो सिर्फ खली है 
अगर साथ रहे तो ज़माना कहेगा क्या बात है !

@ संजय भास्कर 

Tuesday, May 8, 2012

बीत गयी यामिनी ..

मदिर ,मधुर ,धीमी धीमी
गुंजित है रागिनी
सुबह की लाली है
बीत गयी यामिनी ..

कुछ एक पल की जिंदगानी ,
एहसासों की रवानी
वक़्त की कागज़ पर
उकर गयी  सारी कहानी ........

थोड़े तुम थोड़े हम , दोनों का है जहाँ
चलो ख्वाब बाँट ले ,बन जाए आशियाँ

वो खून नहीं ,जिसमे जूनून नहीं
वो अलफ़ाज़ नहीं ,जिसमे आवाज़ नहीं
वो ज़िन्दगी नहीं ,जिसमे बंदगी नहीं
वो बशर कहाँ ,
जिसमे तू तू नहीं ,हम हम नहीं


जब साज तन्हाइयों का और राग खामोशियों का हो
तो ज़िन्दगी हर घड़ी एक संगीत बन जाती है


जब भी मासूम आँखें सवाल करे हैं ,
रब दी कसम बहुत बुरा हाल करे हैं

Sunday, May 6, 2012

manish shukla save your voice

अनशन का पाचवां रोज समाप्ति की ओर एक धृड  निश्चय के साथ बिना ,,जल ,,,के करीब २१ घंटे बीत चुके थे तभी अचानक आलोक और असीम को कुछ पुलिस वाले अस्पताल ले जाने के लिए आ गए उनके मना करने पर भी वो ,या यू कहे जबरन  अस्पताल  राम मनोहर लोहिया  ले गए जहा आलोक और असीम को तुरंत भर्ती कर लिया गया उनकी स्थिति देखते हुए डाक्टर्स ने जानकारी के तौर पे बताया की उनका ब्लड प्रेसर और पल्स रेट काफी कम था और उन्हें ग्लूकोस पे लगा दिया 
                                                                                                                       पर असीम और आलोक ने अस्पताल से ही अनशन जारी रखने की घोसडा कर दी है महत्वपूर्ण बात ये है की ये लड़ाई वो हमारे लिए लड़ रहे है  आशा है की हमारे facebook friends,users ,internet users जरूर आगे आएंगे और आन्दोलन को आगे बढ़ाने में मदद करेंगे मै एक facebook user होने के नाते उनका सहयोग कर रहा हू अच्छी बात ये है की ये मुद्दा हम सभी का है आज एक दुसरे जुड़े रहने का माध्यम सिर्फ social networking site है जहा हम अपनी बात खुल कर कर सकते है और बहुत लोगो तक पंहुचा सकते है तो दोस्तों आगे आइये और इस मुहिम को आगे बढाइये .

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manish shukla