रंगों से कोई राग बनाया जाये अबकी होली में
उम्मीदों का फाग सुनाया जाये अबकी होली में
रंग उड़ गए जिन दीवारों के जीवन की धूपों में
आओ फिर से उन्हें सजाया जाये अबकी होली में
उतरे न साबुन से ना हल्का हो गम की बारिश में
ऐसा कोई रंग लगाया जाये अबकी होली में
छूट गयीं जो गलियां पीछे छूट गए जो चौराहे
आओ फिर से घूमके आया जाये अबकी होली में
bahut achi kavita trivedi ji..
ReplyDeleteउतरे न साबुन से ना हल्का हो गम की बारिश में
ऐसा कोई रंग लगाया जाये अबकी होली में
bahut pasand aayi ye panktiyaan mujhe..
aise hi likhte rahiye...shubh kaamnayein
maine bhi holi pe chaar panktiyaan ikhne ki koshish ki thi
आया कलयुग मानस के अब ह्रदय में होलिका रहती है
ले गोद में बालक प्यारे को,अग्नि वेदी पे जा बैठी है
उठ जा मानुस,प्रेम सहित हरी के नाम को कर ले याद
तभी दहन होगी ये होलिका,तभी बचेंगे भक्त प्रहलाद
samay mile to mere blog pe bhi tippni kijiyega
http://phattphattphatt.blogspot.com/
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
HOLI KO KHOOBSURAT RANGON ME PIROYA HAI AAPNE
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