मस्त अदाओ से सराबोर
तुम्हारी जुल्फ चेहरे से हटाऊँ
क्या तुम्हारी ये इजाजत है
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |
जाहिल जमाना करे इंकारपर पायलो की झंकार कीमोहब्बते दिल में इबादत हैये सुहाने मौसम की नजाकत है |
इख़्तियार तेरा जो दिल में है
सोच उसे में लुत्फ़ उठाऊँ
क्या तुम्हारी ये इजाजत है
ये सुहाने मौसम की नजाकत है |
चुनरी में छुपे उस चाँद केयहाँ आने की कुछ आहट हैसोच तुम्हे चारो दिशाओ मेंमैं तुम्हारे ही गीत गाऊंक्या तुम्हारी ये इजाजत हैये सुहाने मौसम की नजाकत है |
- दीप्ति शर्मा
badhiya deepti ji...acha vichaar hai...ibaadat bhi hai to ijaazat se...waah waah...shubh kaamnaayein..
ReplyDeletekavitabazi me apka swagat hai deepti ji...!
ReplyDeleteWELCOME BACK DEEPTI JI
ReplyDelete..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
ReplyDeleteyou r an amazing writer........looking forward to learn frm u...
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