मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
शायद कहीं ऐसा ना हो ,
की कोई मुझे सुने ही ना ,
और कोई समझे ही ना
वो बात जो सब समझे
ये मैं कैसे पता करूँ ?
मैं अपनी भावनाओ को
शब्दों में कैसे बयां करूँ ?
दीप्तमान हैं कुछ शब्दलफ्जो पर हर सहरप्रतिबिम्ब बन उनलफ्जो को जो समझ सकेंउनका तहे दिल से मैंकैसे शुक्रिया अदा करूँ ?पर जो समझे ही नहींउनका कैसे पता करूँ ?मैं अपनी भावनाओ कोशब्दों में कैसे बयां करूँ ?
- दीप्ति शर्मा
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
ReplyDeleteअच्छी कविता दीप्ति जी..!
ReplyDeleteशायद कहीं ऐसा ना हो ,
ReplyDeleteकी कोई मुझे सुने ही ना ,
और कोई समझे ही ना
जब आप कविताबाजी पर हैं तो ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई न सुने..
अच्छी रचना