निश्चल को गरीबों का राजेश खन्ना भी कहा जाता था. |
छोटा पर्दा ही नहीं वरन बड़ा भी। दोनों ही स्क्रीन्स पर अपनी अदाकारी का लोहा मनमाने वाले नवीन निश्चल के निधन से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री को भारी धक्का पहुंचा है। लेकिन उनके फैन्स को सबसे ज्यादा धक्का लगा है। नवीन निश्चल अपने अभिनय के प्रति बहुत संजीदा रहे। उन्होंने पुराने जमाने की भी शानदार फिल्में कीं। जैसे कि सावन-भादों, संसार, विक्टोरिया नंबर 203, धुंध, परवाना आदि-आदि। नए जमाने की फिल्मों में भी उन्होंने शानदार अभिनय दिखाया। इनमें बुड्ढा मिल गया, खोसला का घोसला, ब्रेक के बाद, आलू चाट आदि फिल्में शामिल हैं।
18 मार्च 1946 को मुम्बई में जन्मे इन अभिनेता ने 2011 में अलविदा कह दिया। उन्होंने टेलीविजन पर भी अपनी छाप छोड़ी। उनका ‘देख भाई देख’ कार्यक्रम शायद सभी के जहन में होगा। उस समय का वह सबसे हिट कॉमेडी नाटक था। पंजाबी फिल्म ‘आसरा प्यार दा’ और जसपाल भट्टी के साथ ‘माहौल ठीक है’ में उन्होंने महत्वपूर्ण किरदार निभाए। कॉमेडी हो या सीरियस रोल, वे सबमें फिट थे। ‘फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ से गोल्ड मेडल लेने वाले इस पहले शख्स ने इंडस्ट्री को बहुत कुछ दिया। लेकिन 19 मार्च 2011 को ‘हार्ट अटैक’ के चलते उनकी मृत्यु हो गई।
उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
No comments:
Post a Comment