मनी'मेरे आने की आहट भर से
झट दरवाजे पे आ जाती है ''माँ
बुरे लोगो के संग जब देखती मुझको
मनी'डाटती मारती और रूठ जाती है ''माँ
मनी'खूब खेलने पर पापा भूखे रहने की सजा देदे या खूब डाटे
पापा को मानती भूखी रहती पर खाना मेरे संग में खाती है ''माँ
इतनी प्यारी इतनी भोली मेरे सब दर्द ले जाती
गर कभी नींद न आए मनी' लोरी सुनाती है ''माँ
मनी' दूर हू पर मेरी हर रोज माँ से बात होती है
ताजुब है मेरी आवाज से मै कैसा हु बताती है ''माँ
***********************मनीष शुक्ल
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