इश्क क्या होता है ,
समझते है हम चोट खाने के बाद ,
वो हंस कर सितम करती रही
हम हंस कर सितम सहते रहे
मेरी आँखों में झलकती है मेरी कहानी
जो छुपाये नहीं छुपती |
मौत आये तो गले लगा ले हम
जी कर क्या करे इश्क में चोट खाने के बाद
दर्द गमो का इलाज़ मिल भी जाये तो क्या
मरना चाहता है ' भास्कर ' अब लाइलाज |
-- संजय कुमार भास्कर
बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteइश्क क्या होता है ,
ReplyDeleteसमझते है हम चोट खाने के बाद ,
वो हंस कर सितम करती रही
हम हंस कर सितम सहते रहे
इश्क चाहे जो भी सितम करे पर इश्क तो होता ही है .......... खूबसूरत रचना ....
बहुत चोट खाए हो भैया, इश्क मा ई हाल सबका ही होत है. जरा संभल के.............
ReplyDeleteवो हंस कर सितम करती रही
ReplyDeleteहम हंस कर सितम सहते रहे
अच्छा लिखा है है संजय जी,,,
आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत आभार ! इसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
ReplyDeleteअच्छा लिखा है
ReplyDeleteसंजय जी.......
खुसरो दरिया इश्क का, उल्टी वाकी धार
ReplyDeleteजो उतरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार.