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Saturday, February 12, 2011

जीतूँगा बस ये ठाना है हा,,,,,,,,,,,,

मै हारूं या जीतूं अलग बात है 
एक ताकत तो मैंने लगाई ही है 

जो सपने देखे वो पूरे होंगे की न 
मैंने सपनो से आंखे मिलाई ही है 

जीतूँगा बस ये ठाना है हा
ये कसम तो मैंने उठाई ही है
    ........मनीष शुक्ल  

9 comments:

  1. अच्छी पंक्तियाँ हैं मनीष भाई...बधाई...!

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  2. मनीष जी क्या विश्वास से भरी हुई पंक्तियाँ हैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,व्यक्ति को सदैव ऐसी ही सोच रखनी चाहिये।


    डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
    डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
    “वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।

    आप भी इस पावन कार्य में अपना सहयोग दें।
    http://vriksharopan.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

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  3. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

    "हट जाओ वेलेण्टाइन डेे आ रहा है!".

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  4. मनीष भाई......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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  5. असीम जी,संजय जी,और आप सभी का आभार ,,,,,,,,

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  6. मनीष भाई....सुंदर रचना ..बधाई

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  7. Bahut hi pyari pankti.
    bajuwo me takat bhar de rahi hain.

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  8. शिवकुमार जी मनप्रीत जी और रवि जी ,,,,आप सभी का आभार

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