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Saturday, March 16, 2013
तुम्हारी आंखो में एक तिलिस्म है एक आइना है
तुम्हारी आंखो में एक तिलिस्म है एक आइना है
आखिर हो भी क्यों न
सबकुछ तो है यहाँ
मनी'मै कैसा हु, ऐसा क्यों हु
सब तो बताती है
और सुनो न
ताजुब है मेरे साथ ही साथ ये तुम्हारा
हाल भी बताती है .
============मनीष शुक्ल
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