चारोँ-सूं" का अर्थ समझ नहीं आया भाई. ....अच्छी ग़ज़ल है पठनीय...... रचना में दर्द है. ... इस सुन्दर पोस्ट के लिए आभार ....शुभकामनायें. बारामासा पर आपसे कमेंट्स की अपेक्षा है. ..... शेष फिर.
रचना आपको पसंद आयी, जानकर अच्छा लगा। आदरणीय चारों-सूं का अर्थ चारों तरफ से है, हालांकि दिशाएं दस होती हैं लेकिन लिखते वक्त मैं सिर्फ अपने चारों तरफ ही देख सका था। जल्द ही बारामासा में सराबोर होऊंगा, और टिप्पणी भी आपको अवशेय मिलेगी शुक्रिया।
Bahut Badia...bahut hi acha likha hai...
ReplyDeleteBhanayein shabdon ke dwara bahut ache se ujagar huee hain...brilliant...please keep writing more
Best Wishes
Gaurav Makol
चारोँ-सूं" का अर्थ समझ नहीं आया भाई. ....अच्छी ग़ज़ल है पठनीय...... रचना में दर्द है. ... इस सुन्दर पोस्ट के लिए आभार ....शुभकामनायें.
ReplyDeleteबारामासा पर आपसे कमेंट्स की अपेक्षा है. ..... शेष फिर.
बहुत सुंदर गज़ल है! वाह.....
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आदरणीय गौरव जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
आपका संदेश मुझे नसिर्फ लिखने, बल्कि और अच्छा लिखने के लिये प्रेरित करेगा, यकीन है मुझे।
अपने विचार देने के लिये शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
आदरणीय सुबीर रावत जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
रचना आपको पसंद आयी, जानकर अच्छा लगा। आदरणीय चारों-सूं का अर्थ चारों तरफ से है, हालांकि दिशाएं दस होती हैं लेकिन लिखते वक्त मैं सिर्फ अपने चारों तरफ ही देख सका था।
जल्द ही बारामासा में सराबोर होऊंगा, और टिप्पणी भी आपको अवशेय मिलेगी शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
आदरणीय विवेक जी,
ReplyDeleteयथायोग्य अभिवादन् ।
मेरे गढ़े को पढऩे के लिये धन्यवाद।
अपने विचार मुझ तक पहुंचाने के लिये शुक्रिया।
रविकुमार बाबुल
सुन्दर पोस्ट के लिए आभार ....शुभकामनायें
ReplyDeletebahut sundar bhaav jagat "raagaatmaktaa kee khidkee "khol di aapne huzoor .
ReplyDelete"tasavvur rhaa tum ban jaao meri amritaa ,khud ko imroz banaane kee koshish nahin kee maine "
bahut sundar bimb bhaai .
veerubhai