तू जालिम था फिर भी दिल मेरे पास छोड़ गया
मनी' अजीब था तू अजीब हालातो में छोड़ गया
शिकायत करू भी तो किससे सब तो खिलाफ थे
जिसपे ज्यादा भरोशा था वही साथ छोड़ गया
तुझे याद करता हू तो कुछ पल में भीग जाता हू
इन आँखों में ए कैसा असर छोड़ गया
कुछ तो बता दे अब आगे का क्या होगा
तू आएगा कभी य हमेशा के लिए छोड़ गया
तू आएगा कभी य हमेशा के लिए छोड़ गया
बद्दुआ भी मै दू तो दू तुझे कैसे मेरा गुनाह था
मनी' ए क्या तू तो मेरे संग बदनामी छोड़ गया
---------------------------------मनीष शुक्ल
No comments:
Post a Comment