Tuesday, September 17, 2013
अगड़म- बगड़म AGDAM- BAGDAM : कुछ तो छोड़ो नेता जी..
अगड़म- बगड़म AGDAM- BAGDAM : कुछ तो छोड़ो नेता जी..: कुछ तो छोड़ो नेता जी मुंह तो मोड़ो नेता जी दाल गटक गए, भात गटक गए लोगों की औकाद गटक गए कोयला, चारा, तेल गटक गए स्टाम्प ...
Monday, September 16, 2013
......... कील :))
कील का सही उपयोग किया
लकड़ी के टुकड़ों को जोड़ कर
एक टेबल बना दिया //
कील ने भी
नहीं बिगड़ने दी उसका स्वरुप
दर्द सहकर भी //
दूसरी तरफ
एक नासमझ ने
कील को फेक दिया सड़कों पर
इस बार कील ने
स्वम दर्द नहीं सहा
बल्कि ...
कितनो को घायल कर गया //
21वी सदी का इन्द्रधनुष ब्लॉग से बबन पांडये जी की एक बेहतरीन रचना आज सभी के साथ साँझा कर रहा हूँ.....उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी !
@ संजय भास्कर
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