tag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post6185545936757001114..comments2023-06-13T01:04:49.282-07:00Comments on kavitabazi: इंसाफAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/04403266169584434918noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-43289835449719034302011-06-27T23:34:07.294-07:002011-06-27T23:34:07.294-07:00आदरणीय प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी,
यथायोग्य अभिवादन्...आदरणीय प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />इंसाफ सदैव सुन्दर और लाजबाब होता है, यह आपसे जाना? शुक्रिया।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-59587843819186251692011-06-27T23:33:33.137-07:002011-06-27T23:33:33.137-07:00आदरणीय सुवीर रावत जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
जी........आदरणीय सुवीर रावत जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />जी......मेरी कविता भावपूर्ण लगी, इसके लिये धन्यवाद।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-81645729439204544342011-06-27T23:33:20.977-07:002011-06-27T23:33:20.977-07:00आदरणीय कुश्वंश जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
आपको मेरी ...आदरणीय कुश्वंश जी,<br />यथायोग्य अभिवादन् ।<br /><br />आपको मेरी कविता अच्छी लगी शुक्रिया।<br /><br />रविकुमार बाबुल <br />ग्वालियरbabulhttps://www.blogger.com/profile/17091172469913399418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-73899378024028827712011-06-02T12:37:35.027-07:002011-06-02T12:37:35.027-07:00बहुत सुंदर ...लाजवाब प्रस्तुति.......बहुत सुंदर ...लाजवाब प्रस्तुति.......प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-69618387275181860382011-06-02T10:26:04.914-07:002011-06-02T10:26:04.914-07:00इस भावपूर्ण कविता पर ग़ालिब साहेब का यह शेर आपकी नज़...इस भावपूर्ण कविता पर ग़ालिब साहेब का यह शेर आपकी नज़र ; <br /><br />कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीरे नीमकश को,<br />यह खलिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता.शूरवीर रावतhttps://www.blogger.com/profile/14313931009988667413noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9189575792747442723.post-71982653012707440842011-06-02T07:36:13.757-07:002011-06-02T07:36:13.757-07:00एक नयी तरह की कविता , कहते रहिये बधाईएक नयी तरह की कविता , कहते रहिये बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.com