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Thursday, August 30, 2012

मनी 'वक़्त ने हालातों को कितना बदल दिया , पहले किसी और का अब किसी का कर दिया

मनी 'वक़्त ने हालातों को कितना बदल दिया 
पहले किसी और का अब किसी का कर दिया 

जो वादे किये थे सब धरे के धरे रह गए
क्यों तुने खुद को खुद से अलग कर दिया 

मुझे तो आज भी वो लम्हे साफ़ दिखते है 
 तूने क्यों उन लम्हों को धुंधला कर दिया 

बस तेरी याद से ये पलके गीली हों जाती है 
पर तुने तो इन पलकों को बेगाना कर दिया 

पारो जहाँ हों वहां खुश तो हों ना तुम
मुझे तो तुमने पूरा  देवदास कर दिया 
....................................मनीष शुक्ल 

Tuesday, August 21, 2012

मेरे मन की कुछ बातें

मेरे आंगन में
देखो सूरज डूब रहा है।
अब तो तुम लौट आओ।
चांद के रहने तक रह लेना,
तुम साथ आंगन में मेरे ।
- रविकुमार बाबुल

  •  दर्द
आओ कात लें धागा हम तुम।
सिल दें हम अपने रिश्ते को।
जख्मों का इल्जाम न हो तेरे सर,
और जग-जाहिर न हो दर्द मेरा।
- रविकुमार बाबुल

  • तेरा चाहा
खुदा से तुम्हें,
मांगा था मैंने।
वह दे न सका,
तुम्हें मुझको।
तन्हा रहूं,
यह चाहा था तुमने,
कर दिया तेरा चाहा,
तू अब मेरे पास नहीं।
- रविकुमार बाबुल

Life is Just a Life: अश्रु रीते Asru Reete

Life is Just a Life: अश्रु रीते Asru Reete: कब तक तुम्हारी याद के , मोती बनाऊँ अश्रु रीते ? तुम  इंद्रधनुषी रेख हो या , आँख का  काजल सुहाना ? तुम गीत का सृंगार हो या , कोई र...

Wednesday, August 15, 2012

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा

 

 

कविताबाजी ब्लॉग की ओर से आप सभी ब्लोगर मित्रों को स्वतंत्रता दिवस की ढ़ेरों शुभकामनाये........!!!!

 
@ संजय भास्कर
 

 


Tuesday, August 14, 2012

मनी' कैसे समझाऊ उन्हें कुछ समझ नहीं आता, समझदार है सिर्फ न समझने का शौक रखते है

मनी' अजीब है वो मोहब्बत का शौक रखते है 
दिल अपनाने का नहीं लगाने का शौक रखते है 

इश्क प्यार मोहब्बत इसका कुछ भी नहीं पता 
बस दिल चीज है चीज को तोड़ने शौक रखते है 

इश्क इबादत है प्यार आत्मा मोहब्बत मंजिल है 
पावन है ए शब्द और वो पालने का शौक रखते है  

मनी' कैसे समझाऊ उन्हें कुछ समझ नहीं आता 
समझदार है सिर्फ न समझने का शौक रखते है 

अजीब जिन्दगी जीते है वो अजीब शौक रखते 
लोगो से मिलने का नहीं खेलने का शौक रखते है 
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----मनीष शुक्ल 


Sunday, August 12, 2012

Life is Just a Life: तरश रहीं दो आँखें Tarash Rahin Do Ankhein Apnon ko...

Life is Just a Life: तरश रहीं दो आँखें Tarash Rahin Do Ankhein Apnon ko...: कब से तरश रहीं दो आँखें , अपनों को। जीवन का मोह न छूटा , छूट गए सब दर्द पराए , सुख दुख की राहगुजर में , अपनों ने सारे स्वप्न जलाए...

Thursday, August 9, 2012

पग पग चलत यशोदा माँ को निहारत

पग पग चलत यशोदा माँ को निहारत 
छुप छुप के वह माखन खावत
गुलेल से मटकी फोड़ गिरावत
गोपियों के संग में रास रचावत 
पेड़ पे बैठ के बंशी बजावत 
बंशी के गान से दुनिया लुभावत 
ऐसे मधुर मधुर मुस्कावत 
नन्द लाल,बाल गोपाल कहावत 
बोल कन्हैया लाल की जय
------------------------------मनीष शुक्ल